खुद नारायण थे गोवर्धन महाराज व्यास पीठ पर बैठी वृन्दावन की कीर्ति किशोरी ने कन्हैया के बाल दर्शन को पहुंचे वरुणदेव के साथ शिवजी की कथा का मैया री नैक दरश करा दे यही कामना लाया हूं…,भजन के माध्यम से संगीतमय वर्णन किया। गोकुल में कंस के बढ़ते अत्याचार से वृन्दावन पहुंचे नंदबाबा की कथा द्वारा भक्तों को वृंदावन के दर्शन कराए। गोपियों कथा वाचक कीर्ति किशोरी ने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि गोवर्धन महाराज कोई और नहीं खुद नारायण ही थे। इंद्र का अभिमान दूर करने के लिए वह गोवर्धन के रूप में एक ओर पुज रहे थे और एक रूप से पुजाए जा रहे थे।
श्रीकृष्ण के मन से प्रकट हुईं मानसी गंगा जहां श्रीकृष्ण के मन से मानसी गंगा का प्राकट्य हुआ। इसलिए नाम मानसी गंगा पड़ा। श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट बिराज रहो… भजन पर श्रद्धालुओं ने अपनी भक्ति को नृत्य के साथ प्रकट किया। कथा में माखन चोरी, पूतना वध, गोपियों संग अठखेलियां, वस्त्र हरण जैसे प्रसंगों के साथ अमृतमयी कथा का भक्तों ने नंद लिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से इस अवसर पर मुख्य रूप से रामप्रकाश अग्रवाल, सुनील, उमेश बंसल, राकेश दालवाले, शालू अग्रवाल महावीर मंगल, आलोक बाबू, विनय गर्ग, हेमलता शालिनी, नीतू, नीलम, राधा, शकुंतला आदि उपस्थित थीं।
आज होगा महाराज
कमला नगर स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में 10 अगस्त, 2019 को महारास लीला, गोपी विरह भक्ति, कंस वध, उद्धव गोपी संवाद, रुक्मणी विवाह आदि प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा।